नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका www.dailyjobupdatetk.blogspot.com आज की इस पोस्ट में है उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित होनी वाली परीक्षा uptet 2021 उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 में बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जेक्ट हिंदी व्याकरण के वर्णमाला टॉपिक के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
हिंदी वर्णमाला से uptet 2021 में हर अधिक मात्रा में प्रश्न पूछे जाते है, इसलिए वर्णमाला पर कमांड करके आप इस टॉपिक से अच्छे अंक हासिल कर सकते है, तो चलिए सुरु करते है।
वर्ण किसे कहते है :
वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े नहीं हो सकते , उसे वर्ण कहते है।
हिंदी वर्णमाला की परिभाषा : वर्णो के सुव्यवस्थित समूह को "वर्णमाला " कहते है।
वर्ण के प्रकार :
उच्चारण के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते है -
1. स्वर
2 . व्यंजन
स्वर :
जिन वर्णो का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है , उन्हे स्वर कहते है।
हिंदी व्याकरण में स्वरों की कुल संख्या (11 ) है।
स्वर के प्रकार:
स्वर दो प्रकार के होते है -
1 . ह्रस्व स्वर (4 ) - अ , इ , उ, ऋ
2. दीर्घ स्वर (7 ) - आ , ई , ऊ , ए, ऐ, ओ, औ
(1) ह्रस्व स्वर :
जिन स्वरों के उच्चारण में का समय लगता है , अर्थात जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें ह्र्स्व स्वर कहते है।
नोट : ह्रस्व स्वरों को ही मूल स्वर भी कहते है।
(2) दीर्घ स्वर :
जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरो से अधिक समय लगता है , अर्थात जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है।
नोट : प्लुत स्वर –जिन स्वरों के उच्चारण में 3 मात्रा का समय लगे उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। आजकल यह प्रचलन समाप्त हो चुका है , हिंदी में प्लुत स्वर का प्रयोग ना के बराबर होता है। अब व्याकरण की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख नहीं मिलता।
व्यंजन :
जिन वर्णों का उच्चारण सदा स्वर की सहायता से किया जाता है, उन्हें व्यंजन कहते है।
हिंदी में कुल 41 व्यंजन है, जिनमें मूल व्यंजनों की संख्या 33 है दो आगत व्यंजन ( ज़ , फ़ ) और चार संयुक्त व्यंजन भी शामिल है। उन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है –
स्पर्श व्यंजन (27) : क वर्ग से प वर्ग तक तथा ड़, ढ़
अंतः स्थ व्यंजन(4) : य, र, ल, व
उष्म व्यंजन (4) : श, ष, स, ह
आगत व्यंजन(2): ज़, फ़
संयुक्त व्यंजन(4) : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र
नोट : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र मूलत व्यंजन नहीं है वह संयुक्त व्यंजन है।
व्यंजनों का वर्गीकरण –
उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन वर्णों को दो प्रकार से विभाजित किया गया है:
1. स्थान के आधार पर
2. प्रयत्न के आधार पर
स्थान के आधार पर – व्यंजनों का उच्चारण मुख के जिन भागो – कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, ओष्ठ आदि से किया जाता है , वही उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहलाता है।
प्रयत्न के आधार पर – व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में स्वासो के कम्पन , स्वांसो की मात्रा तथा आदि अवयवों द्वारा स्वास के रुकवाट की प्रक्रिया का नाम प्रयत्न है।
प्रायः यह तीन प्रकार से होता है:
1. स्वरतंत्री में सांस के कंपन के रूप में
2. स्वास की मात्रा के रूप में
3. मुख अवयव द्वारा स्वास रोकने के रूप में।
अघोष व्यंजन :
प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा फ़, श, ष, स।
सघोष व्यंजन :
प्रत्येक वर्ग के तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण तथा ड़, ढ़, ज़, य, व, ह।
अल्प प्राण व्यंजन :
प्रत्येक वर्ग में प्रथम तृतीय पंचम वर्ण तथा अन्त:स्थ वर्ण।
महाप्राण व्यंजन :
प्रत्येक वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ वर्ण तथा उष्म वर्ण।
महत्वपूर्ण प्रश्न ( Important questions on Hindi vyanjan –
- भाषा की सबसे महत्वपूर्ण इकाई ध्वनि है।
- वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
- स्वर दो प्रकार के होते है हैं ह्रस्व स्वर और दीर्घ स्वर ।
- अनुनासिक स्वरों का उच्चारण स्थान मुह और नाक दोनों से होता है।
- व्यंजन सघोष ,अघोष , अल्पप्राण, महाप्राण , स्पर्श , संघर्षी वर्गों में बांटा जाता है।
- शब्द के जिस अक्षर पर बल दिया जाता है उसे बलाघात कहते
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